*👉🏻 कांग्रेस सरकार के सरपंच ने अपने साथियों सहित किया गुंडागर्दी का नंगा नाच, कवरेज करने गए पीटीसी के पत्रकार पर किया जानलेवा हमला* *👉🏻 कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बढ़ा है पत्रकारों पर हमलों का ग्राफ,पत्रकारों की संस्थाएं क्यों हैं मौन* *👉🏻 पढ़ें पूरी खबर सिर्फ हैडलाइन एक्सप्रेस पर 👇🏻*
भोगपुर,23 मई 2020-(एच. ई)-जालन्धर के भोगपुर के गांव भटनूरा में कांग्रेसी सरपंच के साथियों की गुंडागर्दी देखने को मिली है। यहां सत्ता के नशे में चूर कांग्रेसी सरपंच सरबजीत सिंह के साथियों सरपंच की शह पर द्वारा पीटीसी न्यूज़ के पत्रकार हुसन लाल को अगवा कर उसके साथ बुरी तरह से मारपीट कर के उस को जान से मारने की कोशिश की गई, लेकिन पत्रकार किसी तरह से अपनी जान बचा के उनके चुंगल से भाग निकला।
घायलावस्था में अस्पताल में जेरे इलाज पत्रकार हुसन लाल ने बताया कि गांव भटनूरा के कांग्रेसी सरपंच सरबजीत सिंह और उसके इन्ही गुंडों द्वारा कुछ दिन पहले अपने ही गांव की कुछ औरतों पर अत्याचार किया गया था, और उन्ही पीड़ित औरतों की ख़बर करने के लिए ही वह अपने कैमरामैन के साथ गांव भटनूरा पहुंचा था। वहां पर कांग्रेसी सरपंच सरबजीत सिंह के गुंडे आ गए और उनके साथ गाली गलौच व जातिसूचक शब्द बोलता हुए उन पर हमला बोल दिया। इस भगदढ़ में पत्रकार के साथी कैमरामेन परमजीत सिंह ने किसी के घर में छुप कर अपनी जान बचाई लेकिन पत्रकार गुंडों के हाथ आ गया।
हुसन लाल ने बताया कि उसको पीटते हुए वह लोग बाइक पर अगवा कर के ले गए और आगे ले जाकर फिर दोबारा पीटा व जान से मारने की कोशिश की गई। इस दौरान उसका एक मोबाइल भी छीन लिया गया। सरपंच के गुंडों द्वारा धमकाया भी गया कि अगर दोबारा उनके इलाके में नज़र आया तो तुमें खत्म कर देंगे, हमारी सरकार है तू हमारा कुछ नही बिगाड़ सकता।
पत्रकार हुसन लाल ने कहा कि उस को व उसके परिवार को सरपंच व उसके गुंडों से जान का खतरा है। पीड़ित ने इंसाफ की गुहार लगाते हुए, दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
वहीं सत्ताधारी पार्टी के कार्यकाल में पंजाब में पत्रकारों पर हमलों की संख्या बढ़ी है। रोजाना ही कहीं ना कहीं से पत्रकारों पर हमले की खबर आ जाती है। कभी कोई सत्ताधारी पार्टी का नेता तो कभी पुलिस मुलाजिम पत्रकारों को कवरेज दौरान पीट देते हैं। इतना सब कुछ सामने आने के बावजूद पत्रकारों के हित के लिए बनी हुई संस्थाएं मौन होकर बैठी हुई है। क्या कारण है कि पत्रकारों के हित के लिए बनी संस्थाएं कोई सख्त कदम नहीं उठा रही।