GST: आखिर व्यापारियों ने ढूंढ लिया GST से बचने का चोर दरवाजा,कर रहे हैं यह काम
टैक्स से बचने के लिए चेन्नै के एक दुकानदार ने एक जोड़ा जूते को अलग-अलग कर बेचना शुरू कर दिया है। वह इसके लिए दो बिल भी बना रहे हैं। इसी तरह से एक गारमेंट्स विक्रेता ने डुपट्टा सलवार सूट से अलग बेचना शुरू कर दिया है। सालों तक एक बासमती चावल बेचने वाली कंपनी ने विज्ञापन देकर अपना ब्रैंड बनाया और अब उसने अपना ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन वापस लेने की तैयारी कर ली है। इस कंपनी ने व्यापारियों को उन ब्रैंड्स के लिए टैक्स छूट का दावा करने को कहा जिनका कोई ट्रेडमार्क नहीं है।
अपने प्रॉडक्ट को जीएसटी के अंदर टैक्स के दायरे से बाहर करने या फिर कम टैक्स के दायरे में लाने के लिए व्यापारी इनोवेटिव तरीकों पर निर्भर होने लगे हैं। ज्यादातर व्यापारी जीएसटी काउंसिल के ग्राहकों, खास तौर पर आम आदमी, को बचाने के प्रयासों का लाभ ले रहे हैं। 500 रुपये से कम के फुटवेअर पर 5 फीसदी जीएसटी लगाया गया है जबकि उससे अधिक कीमत के फुटवेअर पर 18% टैक्स लगाया गया है। इसी तरह 1000 रुपये से कम कीमत के अपैरल्स पर 5% जीएसटी तय किया गया और उससे अधिक की कीमत पर 12% जीएसटी लगेगा।
टैक्स ऐंड रेग्युलेटरी पार्टनर (इनडायरेक्ट टैक्स) EY के पार्टनर बिपिन सपरा ने कहा, ‘ संरचनात्मक दृष्टि से कीमतों के आधार पर अलग-अलग टैक्स से क्लासिफिकेशन डिस्प्यूट पैदा हो गया है और इसीलिए कई करदाता कम टैक्स वसूलने के तरीकों की तलाश करने लगे हैं।
इसी तरह कुछ खाद्य पदार्थों पर जीएसटी नहीं वसूला जाएगा। इसमें पनीर, नैचुरल हनी, आटा, चावल और दालों आदि शामिल हैं। ऐसे प्रॉडक्ट जो कंटेनर में आते हैं या फिर जो रजिस्टर्ड ब्रैंड्स हैं उनपर 5% जीएसटी लगाया गया है। सरकार व्यापारियों के इस कदम से चकित नहीं है। कम टैक्स दर का लाभ लेने के लिए प्रॉडक्ट्स में बदलाव करना अलग बात है और प्रावधानों का गलत इस्तेमाल करना अलग बात।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, (जीएसटी काउंसिल) उद्देश्य यह नहीं था। अगर इस तरह के मामले ज्यादा बढ़े तो काउंसिल प्रावधानों पर पुनर्विचार कर सकती है। सपरा ने कहा, ‘अगर जीएसटी रेट रजिस्टर्ड ब्रैंड के नाम के आधार पर निर्धारित किया जाना है तो कई ऐसे भी प्रॉडक्ट हैं जो रजिस्टर्ड नहीं हैं लेकिन काफी पॉप्युलर हैं। जीएसटी रेट तय करने का आधार वस्तुगत होना चाहिए न कि भेदभावपूर्ण।’