*👉🏻 पंजाब कला साहित्य अकादमी के 23वें सोविनार के विमोचन पर विधायक राजिंदर बेरी पेश किए अपने विचार* *👉🏻 साहित्य को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है सफरी परिवार ने-राजिंदर बेरी, पढ़ें पूरी खबर सिर्फ हैडलाइन एक्सप्रेस पर 👇🏻*
जालंधर, 21 फरवरी 2021-(प्रदीप भल्ला)-साहित्य को पंजाब में नई दिशा देने और ऊंचाइयों तक पहुंचाने में सफरी परिवार का अहम योगदान है। राज्य में साहित्य के लिए अगर कोई अहम भूमिका निभा रहा है तो वो है पंकस अकादमी। पंजाब कला साहित्य अकादमी हिंदी और साहित्य के लिए जो कर रही है, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है। यह कहना था जालंधर सेंट्रल से विधायक राजेंद्र बेरी का, जो साहित्यिक संस्था पंजाब कला साहित्य अकादमी के 23 वें वार्षिक सेमिनार का विमोचन करने के लिए विशेष तौर पर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि संस्था के प्रधान सिमर सदोष ने पंजाब और पंजाबियों को साहित्य से जोड़ रखा है। रविवार को पंजाब प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पंजाब कला साहित्य अकादमी पंकस के 23वें वार्षिक सेमिनार का विमोचन हुआ। इस दौरान विधायक राजिंदर बेरी और पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया विशेष तौर पर मौजूद थे। उनके अलावा कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन केके शर्मा भी विशेष तौर पर पहुंचे। कार्यक्रम के दौरान वार्षिक सेमिनार का विमोचन करने के बाद पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया ने कहा कि पंजाब की धरती को और पंजाब के साहित्य को गुरुओं और पीरों का आशीर्वाद प्राप्त है। द सिटीजन अर्बन कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के चेयरमैन केके शर्मा ने कहा कि पंजाब में साहित्य को आगे ले जाने में सिमर सदोष जैसे साहित्यिक लोगों ने लोगों का योगदान रहा है। पंकस अकादमी के निदेशक डॉक्टर जगदीप सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि पंकस अकादमी ने पुस्तकों के विमोचन की जो परंपरा शुरू की है, उसे पंजाब के साहित्यिक समाज में काफी सराहा जा रहा है। वहीं अकादमी ने ऐसा करके पंजाब के साहित्य को नया आयाम दिया है। प्रिंसिपल सुरेश सेठ ने कहा कि पंकस अकादमी ने सोवीनर का प्रकाशन कर एक ऐसी पहल की है जिसकी सराहना हर तरफ हो रही है। डॉ. रमेश कंबोज ने कहा कि साहित्य समाज में पंकस अकादमी अपना अहम योगदान दे रही है। कार्यक्रम के दौरान कवयित्री अमिता सागर के प्रकाशित काव्य संग्रह ‘बहुत बुरे हो तुम’ का विमोचन भी किया।कार्यक्रम के अंत में पंजाब कला साहित्य अकादमी के प्रधान और विख्यात साहित्यकार सिमर सदोष ने पुस्तक पर लिखी समीक्षा पढ़ी, जिसके बाद एक काव्य गोष्ठी का आयोजन भी हुआ। इस दौरान प्रसिद्ध साहित्यकार दीपक जालंधरी, डॉ. अजय शर्मा, डॉ. राज शर्मा, डॉ. नीलम जुल्का, डॉ. कमलेश आहूजा, डॉ. कीर्ति केसर, डॉ. हरदयाल सागर, डॉ. विनोद कुमार, डॉ. अनिल पांडे, डॉ. वीणा विज, डॉ. कुलविंदर कौर, प्रोफेसर मोहन सपरा, डॉ.तरसेम गुजराल सहित अन्य मौजूद थे।