*👉🏻 पुलिस ने रिवाल्वर छोड़ पकड़ी पिस्टल तो अपराधियों ने भी थाम ली पिस्टल* *👉🏻 अपराधी भी वही हथियार इस्तेमाल कर रहे जिसकी गोलियां मिलनी हो आसान* *👉🏻 पढ़ें एक्सक्लूसिव स्टोरी सिर्फ हैडलाइन एक्सप्रेस पर 👇🏻*
जालंधर, 10 अप्रैल 2021-(राजीव शर्मा)-पंजाब में अपराधी अब कट्टा या पिस्टल के साथ पकड़े जा रहे है, शायद ही कोई अपराधी हो जो रिवाल्वर के साथ पकड़ा जाता हो। एक जमाना था जब अपराधियों में पिस्टल की जगह रिवाल्वर का क्रेज था। यह तब की बात है जब पुलिस भी रिवॉल्वर इस्तमाल करती थी पर अब इसका उलटा हो गया है। हथियारों की अवैध फैक्ट्रीयों में अब कट्टा या पिस्टल ही बनाये जा है। अपराधी मुंगेर मेड पिस्टल को खूब पसंद करते हैं। इसी लिये इसका अधिक इस्तेमाल करते है अपराधी। पंजाब में आजकल 315 बोर का कट्टा, .32 बोर पिस्टल (7.65) और 30 बोर पिस्टल ( 7.62 ) बोर पिस्टल अपराधियों की पहली पसंद बन गई है और यही आज कल चलन में भी है। अपराधियों के पास आज कल पिस्टल होने के पीछे का कारण भी दिलचस्प बताया जा रहा है।
कहा जा रहा है कि इसकी गोलियों की उपलब्धता ही इसकी बड़ी वजह है। दरअसल पुलिस और सुरक्षा बलों ने रिवॉल्वर का इस्तेमाल लगभग बंद कर दिया है।पुलिस और सुरक्षा बल अब 9 mm की पिस्टल इस्तेमाल कर रही है। इसलिये अवैध हथियारों के धंधेबाजों ने भी अब पिस्टल बनाना शुरू कर दिया है । सूत्रों के अनुसार अवैध फैक्ट्रियों में हथियार तो बन जाते हैं लेकिन गोलियां नही बनती। ऐसे में हथियार बनाने वाले वैसे ही हथियार ही तैयार करते हैं जिसकी गोलियां आसानी से उपलब्ध कराई जा सके। आशंका यह है कि इंडियन ऑर्डिनेंस फ़ैक्टरी या पुलिस बल को उपलब्ध कराई जाने वाली गोलियां अवैध तरीके से अपराधियों को सप्लाई कर दी जाती है। लिहाजा जिस साइज की गोली उपलब्ध होती है उसी के अनुसार हथियार भी तैयार कर लिये जाते है।
अवैध हथियारों के साथ पुलिस की गिरफ्त में आये अपराधियों ने पूछताछ में बताया है कि अब अपराधियों की पहली पसंद .32 बोर (7.65) पिस्टल और 30 बोर (7.62) बोर पिस्टल हो चुकी है। इसी पिस्टल की देश के अपराधियों में अधिक मांग है। इसका मुख्य कारण यह है कि इसमें मैगजीन लगती है और दो मैगजीन पिस्टल के साथ मिल जाती है। देसी होने के बावजूद एक मैगजीन में एक समय में एक साथ 8 से 9 राउंड लगातार फायर किये जा सकते है। जानकारों के अनुसार इसी लिए देसी हथियारों की मांग पेशेवर अपराधियों के बीच अधिक हो चुकी है। इसकी वजह यह है कि देसी हथियारों का इस्तेमाल वैसे लोग ही करते है जो नजदीक से हमला करते है। देसी हथियारों में एक खामी यह होती है कि इसके बैरल में ग्रूज नही होता। इसलिये इससे अधिक दूरी से फायर करने पर इसमें इंडियन ऑर्डिनेंस फ़ैक्टरी में बने हथियारों या विदेशी हथियारों की तरह सटीकता नही होती। पंजाब पुलिस ने पिछले कुछ सालों में जो अवैध हथियार अपराधियों से बरामद किये है उनमें 315 बोर का कट्टा ,.32 बोर(7.65) पिस्टल और 30 बोर(7.62) पिस्टल (30 बोर पिस्टल है। जिसको अपराधियों की भाषा में मिनी AK 47 भी कहा जाता है, क्योंकि AK 47 में 7.62× 39 और 30 बोर पिस्टल में 7.62× 25 गोलियों की साइज होती है और इनमें गोलियों की संख्या भी ज्यादा पड़ती है। सूत्रों के अनुसार .32 बोर के पिस्टल की गोलियां और 315 बोर राइफल की गोलियां, जो अपराधी देसी कट्टा में इस्तेमाल करते है वह देश की इंडियन ऑर्डिनेंस फ़ैक्टरी में ही बनाई जाती है और इसे सरकार द्वारा लाइसेंसी असला डीलर ही अपराधियों को बेचते है, पर 30 बोर (7.62) की पिस्टल की गोलियाँ देश के किसी भी आर्म्स फ़ैक्टरी में नही बनाई जाती है। ऐसे में एक सवाल उठता है कि 30 बोर पिस्टल की गोलियां अपराधियों तक पहुंचाता कौन है? यह भी संभव नहीं है कि अपराधी दर्जन या दर्जनों की संख्या में 30 बोर पिस्टल की गोलियां विदेश से मंगवाते है। पंजाब में 30 बोर पिस्टल अधिकतर पाकिस्तान के बॉर्डर पार से मंगवाये जा रहे है या NSP (Non Service Pattern) कैटेगरी के हैं, जिसकी गोलियां बेचने का लाइसेंस कुछ चुनिंदा असला डीलरों के पास है। फिर 30 बोर पिस्टल की गोलियां अपराधियों तक कैसे पहुँच रही है। यह अपने आपमें एक सवाल है जो पुलिस अधिकारियों द्वारा ही दिया जा सकता है।