अगर आप लैपटॉप, मोबाइल पर बिताते हैं खूब वक्त तो हो जाएं सावधान…
नई दिल्ली : इंटरनेट का अत्यधिक उपयोग दिमाग की वायरिंग को बदल सकता है। इससे किशोरों में नशे की लत लगने की संभावना बढ़ जाती है। पीएलओएस मेंटल हेल्थ पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया स्टडी में यह बात सामने आई है। स्टडी किशोरों के मस्तिष्क पर इंटरनेट की लत के प्रभाव पर रोशनी डालता है। यह दर्शाता है कि इंटरनेट की लत मस्तिष्क के कई न्यूरॉन नेटवर्क में शामिल क्षेत्रों में बाधित सिग्नलिंग से जुड़ी है। ये न्यूरॉन नेटवर्क संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली (Cognitive Functioning) और बिहेवियर रेगुलेशन के विभिन्न पहलुओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वैज्ञानिकों ने युवा लोगों के मस्तिष्क पर इंटरनेट की लत के प्रभाव के न्यूरोइमेजिंग स्टडी की समीक्षा की।
इंटरनेट यूज पर नजर रखना जरूरी
डॉक्टरों के अनुसार, निष्कर्ष किशोरों में इंटरनेट की लत के संभावित जोखिमों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को उजागर करते हैं। जैसे-जैसे डिजिटल युग विकसित होता जा रहा है, माता-पिता, शिक्षकों और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के लिए युवा लोगों में अत्यधिक इंटरनेट उपयोग के मुद्दे पर नजर रखना और उसका समाधान करना आवश्यक है। फोर्टिस गुड़गांव में न्यूरोलॉजी के प्रमुख निदेशक डॉ. प्रवीण गुप्ता ने कहा कि इंटरनेट की लत न्यूरॉन्स के बीच कार्यात्मक और प्रभावी कनेक्टिविटी में बदलाव लाती है। यह कुछ सिनैप्टिक कनेक्शनों में अति सक्रियता और दूसरों में कम सक्रियता का कारण बनता है। यह विशेष रूप से प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स और एंटीरियर सिंगुलेट गाइरस में प्रभाव डालती है। इस तरह यह व्यवधान ध्यान, स्मृति और व्यवहार से जुड़े नेटवर्क को प्रभावित करता है।
ब्रेन के हिस्से पर असर
नेटवर्क की भूमिका के बारे में बताते हुए इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार साइकैट्रिस्ट और साइकोथेरेपिस्ट डॉ. अचल भगत ने कहा कि मस्तिष्क में कई न्यूरल नेटवर्क होते हैं। इनमें से प्रत्येक में कार्यात्मक रूप से जुड़े क्षेत्र होते हैं जो लगातार जानकारी साझा करते हैं। ये नेटवर्क ध्यान, बौद्धिक क्षमता, कार्यशील स्मृति, शारीरिक समन्वय और भावनात्मक प्रोसेसिंग को कंट्रोल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. दिनिका आनंद के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को ऑनलाइन (सामग्री) की लत लग जाती है, तो उसके मस्तिष्क के कुछ निश्चित मार्ग पूरी ऊर्जा प्राप्त करेंगे और हमेशा उपयोग में रहेंगे। ऐसे में निश्चित रूप से यह उपयोग कुछ अन्य मार्गों के हानि का कारण बनेगा।
डिजिटल डिटॉक्स जरूरी
नारायण अस्पताल में न्यूरोसाइंस के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. उत्कर्ष भगत ने कहा कि ऑनलाइन व्यवहार पैटर्न को संशोधित करने की दिशा में एक दृष्टिकोण अपनाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि समय-समय पर ‘डिजिटल डिटॉक्स’ में शामिल होना किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को पुनर्जीवित और तरोताजा करने के लिए एक प्रभावी रणनीति के रूप में काम कर सकता है। डिजिटल दुनिया की निरंतर उत्तेजनाओं और विकर्षणों से अस्थायी रूप से अलग होकर, लोग आत्मनिरीक्षण, रिलैक्स और फिजिकल वातावरण और सामाजिक संपर्कों के साथ फिर से जुड़ने के लिए जगह बना सकते हैं।